अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता,
तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का..
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता।
अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता,
तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का..
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता।