वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो !
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो !!
Vo Shama Ki Mahafil Hi Kya,
Jisme Dil Jal Kar Khaak Na Ho,
Maza To Tab Aata Hai Chahat Ka,
Jab Dil To Jale Magar Raakh Hi Na Ho.
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो !
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो !!
Vo Shama Ki Mahafil Hi Kya,
Jisme Dil Jal Kar Khaak Na Ho,
Maza To Tab Aata Hai Chahat Ka,
Jab Dil To Jale Magar Raakh Hi Na Ho.
मोहब्बत के खर्चों की बड़ी लंबी कहानी है,
कभी फिल्म दिखानी है तो कभी शॉपिंग करानी है,
मास्टर रोज कहता है कहाँ हैं फीस के पैसे?
उसे कैसे समझाऊँ कि मुझे छोरी पटानी है!